
Math Notes PDF For All Competitive Exam
आज हम आपके लिए एग्जाम में आने वाली सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सब्जेक्ट के नोट्स Math Notes For Competitive & Board Exams Notes PDF लेकर आये हे जो की आपके लिए आपकी हर प्रकार की एग्जाम में फायदेमंद होने वाले हे। मैथ एक ऐसा सब्जेक्ट हे जो की सभी प्रकार की एग्जाम में काम में आता हे जिससे की आपको एग्जाम में बहुत फायदा भी होता हे। Maths Notes PDF | गणित नोट्स | Math Notes in Hindi सब्जेक्ट को एग्जाम में ज्यादा मार्क्स लेकर आने वाला सब्जेक्ट भी कहा जाता हे जो की आपके लिए एग्जाम में बहुत ही सहयता करने वाला हे।
Maths Notes for Competitive Exams PDF बहुत से परीक्षाओं में जरूरी होता है, जैसे कि विद्यार्थी की उच्चतर माध्यमिक शिक्षा (वाणिज्य, विज्ञान और कला) और स्नातक (बीए, बीएससी, बीकॉम, बीएड, आईटीआई, बीबीए, एमबीए, एमसीए, एमएमएस, आईएससी, आईएसआईएम, आईफोटेक, आईएएस, एमएससी) परीक्षाएं।
विद्यार्थियों को गणित के संबंधित विषयों की जानकारी होना चाहिए जैसे – अंकगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति, विस्तृत, आलंब, समांतर श्रेणियाँ, समीकरण, वर्गमूल, लघुत्तम समापवर्तक, साझेदारी, समान्तर श्रृंखला, त्रिविमीय ज्यामिति आदि।
इन विषयों की समझ और ज्ञान के बिना, विद्यार्थी अपनी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं। इसलिए, गणित एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए, विद्यार्थियों को इसे ध्यान से अध्ययन करना चाहिए।
Math Notes PDF Topics :-
1. समुच्चय
1.1 भूमिका
1.2 समुच्चय और उनका निरूपण
1.3 रिक्त समुच्चय
1.4 परिमित और अपरिमित समुच्चय
1.5 समान समुच्चय
1.6 उपसमुच्चय
1.7 घात समुच्चय
1.8 सार्वत्रिक समुच्चय
1.9 वेन आरेख
961.10 समुच्चयों पर संक्रियाएँ
1.11 समुच्चय का पूरक
1.12 दो समुच्चयों के सम्मिलन और सर्वनिष्ठ पर आधारित व्यावहारिक प्रश्न
2. संबंध एवं फलन
2.1 भूमिका
2.2 समुच्चयों का कार्तीय गुणन
2.3 संबंध
2.4 फलन
3. त्रिकोणमितीय फलन
3.1 भूमिका
3.2 कोण
3.3 त्रिकोणमितीय फलन
3.4 दो कोणों के योग और अंतर का त्रिकोणमितीय फलन
3.5 त्रिकोणमितीय समीकरण
4. गणितीय आगमन का सिद्धांत
4.2 प्रेरणा
4.3 गणितीय आगमन का सिद्धांत
5. सम्मिश्र संख्याएँ और द्विघातीय समीकरण 2
5.1 भूमिका
5.2 सम्मिश्र संख्याएँ
5.3 सम्मिश्र संख्याओं का बीजगणित
5.4 सम्मिश्र संख्या का मापांक और संयुग्मी
5.5 आगंड तल और ध्रुवीय निरूपण
5.6 द्विघातीय समीकरण
6. रैखिक असमिकाएँ
6.1 भूमिका
6.2 असमिकाएँ
6.3 एक चर राशि के रैखिक असमिकाओं का बीजगणितीय हल और उनका आलेखीय निरूपण
6.4 दो चर राशियों के रैखिक असमिकाओं का आलेखीय हल
6.5 दो चर राशियों की असमिका निकाय का हल
7. क्रमचय और संचय
7.1 भूमिका
7.2 गणना का आधारभूत सिद्धांत
7.3 क्रमचय
7.4 संचय
8. द्विपद प्रमेय
8.1 भूमिका
8.2 धन पूर्णांकों के लिए द्विपद प्रमेय
8.3 व्यापक एवं मध्य पद
9. अनुक्रम तथा श्रेणी
9.1 भूमिका
9.2 अनुक्रम
9.3 श्रेणी
9.4 समांतर श्रेढ़ी
9.5 गुणोत्तर श्रेढ़ी
9.6 समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य के बीच संबंध
9.7 विशेष अनुक्रमों के पदों का योगफल
10. सरल रेखाएँ
10.1 भूमिका
10.2 रेखा की ढाल
10.3 रेखा के समीकरण के विविध रूप
10.4 रेखा का व्यापक समीकरण
10.5 एक बिंदु की रेखा से दूरी
11. शंकु परिच्छेद
11.1 भूमिका
11.2 शंकु के परिच्छेद
11.3 वृत्त
11.4 परवलय
11.5 दीर्घवृत्त
11.6 अतिपरवलय
12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय
12.1 भूमिका
12.2 त्रिविमीय अंतरिक्ष में निर्देशांक्ष और निर्देशांक-तल
12.3′ अंतरिक्ष में एक बिंदु के निर्देशांक
12.4 दो बिंदुओं के बीच की दूरी
12.5 विभाजन सूत्र
13. सीमा और अवकलज
13.1 भूमिका
13.2 अवकलजों का सहजानुभूत बोध
13.3 सीमाएँ
13.4 त्रिकोणमितीय फलनों की सीमाएँ
13.5 अवकलज
14. गणितीय विवेचन S
14.1 भूमिका
14.2 कथन
14.3 पुराने ज्ञात कथनों से नए कथन बनाना
14.4 विशेष शब्द/वाक्यांश
14.5 अंतर्भाव
14.6 कथनों की वैधता को प्रमाणित करना
15 सांख्यिकी
15.1 भूमिका
15.2 प्रकीर्णन की माप
15.3 परिसर
15.4 माध्य विचलन
15.5 प्रसरण और मानक विचलन
15.6 बारंबारता बंटनों का विश्लेषण
16. प्रायिकता
16.1 भूमिका
16.2 यादृच्छिक परीक्षण
16.3 घटना
16.4 प्रायिकता की अभिगृहीतीय दृष्टिकोण
1. Math Notes के टॉपिक्स के समुच्चय बारे में :-
समुच्चय और उनका निरूपण (Sets and their Representations) :- दैनिक जीवन में हम बहुधा वस्तुओं के संग्रह की चर्चा करते हैं, जैसे ताश की गड्डी, व्यक्तियों की भीड़, क्रिकेट टीम आदि। गणित में भी हम विभिन्न संग्रहों की चर्चा करते हैं, उदाहरणार्थ, प्राकृत संख्याओं का संग्रह बिंदुओं का संग्रह, अभाज्य संख्याओं का संग्रह आदि। विशेषतः, हम निम्नलिखित संग्रह पर विचार करेंगे:-
(1) 10 से कम विषम प्राकृत संख्याएँ, अर्थात् 1, 3, 5, 7, 9
(11) भारत की नदियाँ,
(111)अंग्रेज़ी वर्णमाला के स्वर, यानी, a, e, i, o, u,
(iv) विभिन्न प्रकार के त्रिभुज
(v)संख्या 210 के अभाज्य गुणनखंड, अर्थात्, 2, 3, 5 तथा 7,
(vi) समीकरण – 5x + 6 = 0, के मूल अर्थात्, 2 तथा 3
यहाँ हम यह देखते हैं कि उपर्युक्त प्रत्येक उदाहरणों में से वस्तुओं का एक सुपरिभाषित संग्रह इस अर्थ में है कि किसी वस्तु के संबंध में हम यह निर्णय निश्चित रूप से ले सकते हैं कि वह वस्तु एक प्रदत्त संग्रह में है अथवा नहीं है। उदाहरणतः हम यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि ‘नील नदी’, भारत की नदियों के संग्रह में नहीं है। इसके विपरीत गंगा नदी इस संग्रह में निश्चितरूप से है।
हम नीचे ऐसे समुच्चय के कुछ और उदाहरण दे रहे हैं, जिनका प्रयोग गणित में विशेषरूप से किया जाता है;
N : प्राकृत संख्याओं का समुच्चय
Z : पूर्णांकों का समुच्चय
Q : परिमेय संख्याओं का समुच्चय
R : वास्तविक संख्याओं का समुच्चय
Z+ : धन पूर्णांकों का समुच्चय
Q+ : धन परिमेय संख्याओं का समुच्चय
R+ : धन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय
इन विशेष समुच्चयों के लिए निर्धारित उपर्युक्त प्रतीकों का प्रयोग हम इस पुस्तक में निरंतर करते रहेंगे।
इसके अतिरिक्त विश्व के पाँच सर्वाधिक विख्यात गणितज्ञों का संग्रह एक सुपरिभाषित समुच्चय नहीं है, क्योंकि सर्वाधिक विख्यात गणितज्ञों के निर्णय करने का मापदंड एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न हो सकता है। अतः यह एक सुपरिभाषित संग्रह नहीं है।
अतः ‘वस्तुओं के सुपरिभाषित संग्रह’ को हम एक समुच्चय कहते हैं। यहाँ पर हमें निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना है:
(i) समुच्यय के लिए वस्तुएँ, अवयव तथा सदस्य पर्यायवाची पद हैं।
(ii) समुच्यय को प्राय: अंग्रेज़ी वर्णमाला के बड़े अक्षरों से निरूपित करते हैं,
जैसे A, B, C, X, Y, Z आदि
(iii) समुच्चय के अवयवों को अंग्रेज़ी वर्णमाला के छोटे अक्षरों द्वारा प्रदर्शित करते हैं, जैसे
a, b, c, x, y, z आदि
यदि a, समुच्चय A का एक अवयव है, तो हम कहते हैं कि ‘a समुच्चय A में है’। वाक्यांश ‘अवयव है’ ‘सदस्य है’ या ‘में है’ को सूचित करने के लिए यूनानी प्रतीक “e (epsilon)” का प्रयोग किया जाता है। अतः हम ‘a E A’ लिखते हैं। यदि b, समुच्चय A का अवयव नहीं है, तो हम b #A’ लिखते हैं और इसे “b समुच्चय A में नहीं है” पढ़ते हैं।
इस प्रकार अंग्रेज़ी वर्णमाला के स्वरों के समुच्चय V के सम्बंध में ae V किंतु be V. इसी प्रकार संख्या 30 के अभाज्य गुणनखंडों के समुच्चय
किसी समुच्चय को निरूपित करने की दो विधियाँ हैं:-
(i) रोस्टर या सारणीबद्ध रूप
> (ii) समुच्चय निर्माण रूप
(i) रोस्टर रूप में, समुच्चय के सभी अवयवों को सूचीबद्ध किया जाता है, अवयवों को, एक दूसरे से, अर्ध-विराम द्वारा पृथक किया जाता है और उन सभी को एक मझले कोष्ठक के भीतर लिखते हैं। उदाहरणार्थ, 7 से कम सभी सम धन पूर्णांकों के समुच्चय का वर्णन रोस्टर रूप में {2, 4, 6} द्वारा किया जाता है। किसी समुच्चय को रोस्टर रूप में प्रदर्शित करने के कुछ और उदाहरण नीचे दिए हैं:
(a) संख्या [42] को विभाजित करने वाली सभी प्राकृत संख्याओं का समुच्चय
{1, 2, 3, 6, 7, 14, 21, 42} #1
(b) अंग्रेजी वर्णमाला के सभी स्वरों का समुच्चय {a, e, i, o, u} है।
(c) विषम प्राकृत संख्याओं का समुच्चय {1,3,5,…} है। अंत के बिंदु, जिनकी संख्या तीन होती है, यह बतलाते हैं कि इन विषम संख्याओं की सूची अंतहीन है।
(ii) समुच्चय निर्माण रूप में, किसी समुच्चय के सभी अवयवों में एक सर्वनिष्ठ गुणधर्म होता है जो समुच्चय से बाहर के किसी अवयव में नहीं होता है। उदाहरर्णाथ समुच्चय {a, e, i, o, u} के सभी अवयवों में एक सर्वनिष्ठ गुणधर्म है कि इनमें से प्रत्येक अवयव अंग्रेज़ी वर्णमाला का एक स्वर है और इस गुणधर्म वाला कोई अन्य अक्षर नहीं है।
इस समुच्चय को V से निरूपित करते हुए हम लिखते हैं कि,
V = {x : x अंग्रेज़ी वर्णमाला का एक स्वर है।
यहाँ ध्यान देना चाहिए कि किसी समुच्चय के अवयवों का वर्णन करने के लिए हम प्रतीक ‘x’ का प्रयोग करते हैं, (x के स्थान पर किसी अन्य प्रतीक का भी प्रयोग किया जा सकता है, जैसे, अक्षर J, z आदि।) जिसके उपरांत कोलन का चिह्न “:” लिखते हैं। कोलन के चिह्न के बाद समुच्चय के अवयवों के विशिष्ट गुणधर्म को लिखते हैं और फिर संपूर्ण कथन को मझले कोष्ठक { } के भीतर लिखते हैं। समुच्चय V के उपर्युक्त वर्णन को निम्नलिखित प्रकार से पढ़ा जाता है, “सभी का समुच्चय जहाँ x अंग्रेज़ी वर्णमाला का एक स्वर X .
इस वर्णन में कोष्ठक का प्रयोग “सभी X का समुच्चय” के लिए और कोलन का प्रयोग X’ जहाँ के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए
A = 44 एक प्राकृत संख्या है और 3<< 101 को निम्नलिखित प्रकार से पढ़ते हैं :
“सभी का समुच्चय, जहाँ एक प्राकृत संख्या है और 13 और 10 के बीच में हैं। अतः संख्याएं, 45.67.8 और 9 समुच्चय A के अवयव हैं।
यदि हम ऊपर (a), (b) और ((c) में रोस्टर रूप में वर्णित समुच्चयों को क्रमश: A, B, C से प्रकट करें, तो A, B और C को समुच्चय निर्माण रूप में, निम्नलिखित प्रकार से भी निरूपित किया जा सकता
A = 14 एक प्राकृत संख्या है जो संख्या 42 को विभाजित करती है।
B = {y: y अंग्रेजी वर्णमाला का एक स्वर है।
C= 12:: एक विषम प्राकृत संख्या है।
उदाहरण 1 :- समीकरण 1+1-2 = 0 का हल समुच्चय रोस्टर रूप में लिखिए।
हल प्रदत्त समीकरण इस प्रकार लिखा जा सकता है,
(r – 1 ) (x + 2 ) = 0, अर्थात् = 1, 2
अतः प्रदत्त समीकरण का हल समुच्चय रोस्टर रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है {1, – 2}.
उदाहरण 2:- समुच्चय (एक धन पूर्णांक है और < 40} को रोस्टर रूप में लिखिए।
हल 1, 2, 3, 4, 5, और 6 अभीष्ट संख्याएँ हैं। अतः {1, 2, 3, 4, 5, 6} प्रदत्त समुच्चय का रोस्टर रूप है।
उदाहरण 3:- समुच्चय A = { 1, 4, 9, 16, 25, } को समुच्चय निर्माण रूप में लिखिए।
हल समुच्चय A को हम इस प्रकार लिख सकते हैं,
A = {xr एक प्राकृत संख्या का वर्ग है। विकल्पतः हम इस प्रकार भी लिख सकते हैं,
A = {x : r = n’, जहाँ “E N}
2. संबंध एवं फलन Math Notes के टॉपिक्स के बारे में:-
समुच्चयों का कार्तीय गुणन (Cartesian Product of Sets) :- दो प्रकार के समुच्य के भाग का गुणन ही समुच्चयों का कार्तीय गुणन (Cartesian Product of Sets) कहलाता हे। जिसको मैथ की भाषा में फलन या फिर समुच्यो का संबध भी कहा जाता हे।
मान लीजिए कि A, दो प्रकार के रंगों का और B, तीन वस्तुओं का समुच्चय है, अर्थात्
A = {लाल, नीला} और B = {b, c, s},
जहाँ b, c और s क्रमशः किसी विशेष बैग, कोट और कमीज को निरूपित c करते हैं। इन दोनों समुच्चयों से कितने प्रकार की रंगीन वस्तुओं के युग्म बनाए जा b सकते हैं? क्रमबद्ध तरीके से प्रगति करते हुए हम देखते हैं कि निम्नलिखित 6 भिन्न-भिन्न युग्म प्राप्त होते हैं। (लाल, b), (लाल, c), (लाल, s), (नीला, b), (नीला, c), (नीला, s)। इस प्रकार हमें 6 भिन्न-भिन्न वस्तुएँ प्राप्त होती हैं |
उदाहरण 1 :- यदि (x + 1, y – 2) = (3,1), तो x और y के मान ज्ञात कीजिए | हल क्योंकि क्रमित युग्म समान है, इसलिए संगत घटक भी समान होंगे।
अतः x + 1 = 3 और y – 2 = 1.
सरल करने पर x = 2 और y = 3.
उदाहरण 2:- यदि P = {a, b, c} और Q = {r}, तो PxQ तथा QxP ज्ञात कीजिए। क्या दोनों कार्तीय गुणन समान हैं?
हल :- कार्तीय गुणन की परिभाषा से
P x Q = {(a, r), (b, 7), (c, r)} और Q x P = {(r, a), (r, b), (r, c)}
क्योंकि, क्रमित युग्मों की समानता की परिभाषा से, युग्म (a, r) युग्म (r, a), के समान नहीं है और यह बात कार्तीय गुणन के प्रत्येक युग्म के लिए लागू होती है, जिससे हम निष्कर्ष निकालते हैं कि
P x Q # Q x P.
तथापि, प्रत्येक समुच्चय में अवयवों की संख्या समान है।
3. त्रिकोणमितीय फलन Math Notes PDF टॉपिक्स के बारे मे :-
त्रिकोणमितीय फलन (Trigonometric Function) :- पूर्व कक्षाओं में, हमने न्यून कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों को समकोण त्रिभुज की भुजाओं के रूप में अध्ययन किया है। अब हम किसी कोण के त्रिकोणमितीय अनुपात की परिभाषा को रेडियन माप के पदों में तथा त्रिकोणमितीय फलन के रूप में अध्ययन करेंगे। मान लीजिए कि एक इकाई वृत्त, जिसका केंद्र निर्देशांक अक्षों का मूल बिंदु हो। माना कि P (a, b) वृत्त पर कोई बिंदु है तथा कोण AOP = x रेडियन अर्थात् चाप की लंबाई AP = x (आकृति 3.6) है। हम परिभाषित करते हैं:
cos x = a तथा sin x = b
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6. क्रमचय और संचय Math Notes Topic:-
पिछली कक्षाओं में हम एक चर और दो चर राशियों के समीकरणों तथा शाब्दिक प्रश्नों को समीकरणं में परिवर्तित करके हल करना सीख चुके हैं। अब हमारे मस्तिष्क में स्वभावत: यह प्रश्न उठता है कि “क्या शाब्दिक प्रश्नों को सदैव एक समीकरण के रूप में परिवर्तित करना संभव है?”
उदाहरणत:- आपकी कक्षा के सभी विद्यार्थियों की ऊँचाई 106 सेमी. से कम है, आपकी कक्षा में अधिकतम 60 मेजें या कुर्सियाँ या दोनों समा सकती हैं। यहाँ हमें ऐसे कथन मिलते हैं जिनमें ‘<’ (से कम) ‘>’ (से अधिक), ‘≤ (से कम या बराबर) ‘2’ (से अधिक या बराबर) चिह्न प्रयुक्त होते हैं। इन्हें हम असमिकाएँ (Inequalities) कहते हैं।
इस अध्याय में, हम एक या दो चर राशियों की रैखिक असमिकाओं का अध्ययन करें
असमिकाओं का अध्ययन विज्ञान, गणित, सांख्यिकी, इष्टतमकारी समस्याओं (optimization’s problems), अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान इत्यादि से संबंधित समस्याओं को हल करने में अत्यंत उपयोगी है।
असमिकाएँ (Inequalities)
हम निम्नलिखित स्थितियों पर विचार करते हैं:
(i) रवि 200 रुपये लेकर चावल खरीदने के लिए बाज़ार जाता है, चावल 1 किग्रा० के पैकेटों में उपलब्ध हैं। एक किलो चावल के पैकेट का मूल्य 30 रुपये है। यदि उसके द्वारा खरीदे गए चावल के पैकेटों की संख्या को व्यक्त करता हो, तो उसके द्वारा खर्च की गई धनराशि 30 x रुपये होगी क्योंकि उसे चावल को पैकेटों में ही खरीदना है इसलिए वह 200 रुपये की पूरी धनराशि को खच नहीं कर पाएगा (क्यों?)। अतः
30 x < 200…………………(1)
स्पष्टत: कथन (i) समीकरण नहीं है, क्योंकि इसमें समता (equality) का चिह्न (=) नहीं है।
(ii) रेशमा के पास 120 रुपये हैं जिससे वह कुछ रजिस्टर व पेन खरीदना चाहती है। रजिस्टर का मूल्य 40 रुपये और पेन का मूल्य 20 रुपये है। इस स्थिति में यदि रेशमा द्वारा खरीदे गए रजिस्टर की संख्या तथा पेन की संख्या y हो तो उसके द्वारा व्यय की गयी कुल धनराशि (40x+20y) रुपये है। इस प्रकार हम पाते हैं कि
40 x + 20y ≤120……………………….(2)
क्योंकि इस स्थिति में खर्च की गयी कुल धनराशि अधिकतम 120 रुपये है। ध्यान दीजिए कथन (2) के दो भाग हैं।
40x + 20y < 120 ……………………… (3)
और
40x + 20y = 120……………… (4)
कथन (3) समीकरण नहीं है, जबकि कथन (4) समीकरण है। उपरोक्त कथन जैसे (1), (2) तथा (3) असमिका कहलाते हैं।
परिभाषा :- 1 एक असमिका, दो वास्तविक संख्याओं या दो बीजीय व्यंजकों में ‘<‘, ‘>’, ‘≤’ या ‘>’ के चिह्न के प्रयोग से बनती हैं।
3 < 5; 7>5 आदि संख्यांक असमिका के उदाहरण हैं। जबकि x < 5; y > 2; x ≤ 3, y≤ 4 इत्यादि शाब्दिक (चरांक) असमिका के उदाहरण हैं।
3 < 5 < 7 (इसे पढ़ते हैं 5, 3 से बड़ा व 7 से छोटा है), 3<x <5 (इसे पढ़ते हैंx, 3 से बड़ा या बराबर है व 5 से छोटा है) और 2 <y≤4 द्वि-असमिका के उदाहरण हैं।
असमिकाओं के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं :
ax + b < 0……………………..(5)
ax + b > 0……………………..(6)
ax + b≤ 0………………………(7)
ax + b ≥ 0………………………(8)
Wax + by < c………………….(9)
ax + by > c………………….(10)
ax + by ≤ c……………………..(11)
ax + by ≥ c……………………………(12)
ax + bx + c 50…………………………….(13)
ax2 + bx + c > 0 ……………………………. (14)
क्रमांक (5), (6), (9), (10) और (14) सुनिश्चित असमिकाएँ तथा क्रमांक (7), (8), (11), (12) और (13) असमिकाएँ कहलाती हैं। यदि a # 0 हो तो क्रमांक (5) से (8) तक
की असमिकाएँ एक चर राशि x के रैखिक असमिकाएँ हैं और यदि a # 0 तथा b # 0 हो तो क्रमांक (9) से (12) तक की असमिकाएँ दो चर राशियों x तथा y के रैखिक असमिकाएँ हैं।
क्रमांक (13) और (14) की असमिकाएँ रैखिक नहीं हैं। वास्तव में यह एक चर राशि x के द्विघातीय असमिकाएँ हैं, जब a = 0.
बाकि और टॉपिक्स के बारे में आगे आपको इस नोट्स पीडीऍफ़ में मिल जायेगा जिससे की आप वह आगे पढ़ सकते हो