
Computer Notes In Hindi PDF Download
आज हम आपके लिए Computer Notes In Hindi PDF लेकर आये हे जिनका उपयोग आप अपनी कंप्यूटर परीक्षा में और इसके साथ ही इसका उपयोग आप व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। ये [Latest] Computer Book PDF Download in Hindi | कंप्यूटर नोट्स डाउनलोड सामान्यतः एक पीडीऍफ़ फाइल में उपलब्ध होंगे जिनको आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हे और अच्छे से आप पढ़कर परीक्षा की तैयारी कर सकते हे।
कंप्यूटर नोट्स में आपको अलग-अलग विषयों से संबंधित जानकारी मिलेगी और कंप्यूटर के बारे में आपको पता चलेगा जैसे कंप्यूटर की विभिन्न भागों का उपयोग करना, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से संबंधित जानकारी, नेटवर्किंग के बारे में जानकारी और आदि।
आपको इस Computer Book In Hindi PDF Download (कम्प्यूटर नोट्स) आपको सभी प्रकार की कंप्यूटर के सभी प्रकार के पार्ट्स से संबधित जानकारी के साथ साथ ही आपको कंप्यूटर के बारे में और भी प्रकार की जानकारी के बारे में पता चलेगा जिससे की आप नार्मल किसी भी प्रकार का कंप्यूटर इंटरव्यू भी आसानी से क्लेरे कर सकते हे।
कम्प्यूटर का अर्थ Computer Notes PDF:-
‘कम्प्यूटर’ (Computer) शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के ‘कम्प्यूट’ (Comput) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ‘गणना करना’। यद्यपि प्रारंभ में कम्प्यूटर का उपयोग विशेषतः गणनात्मक कार्यों के लिए किया जाता था, परन्तु अब इसका कार्य क्षेत्र बहुत बढ़ गया है। अतः कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक युक्ति (electronic device) है जो दिए गए निर्देशन समूह (set of Instructions) के आधार पर सूचना (Information) को संसाधित करती है। इस निर्देशन समूह को प्रोग्राम (Program) कहते हैं।
Computer Notes PDF कम्प्यूटर का विकास:-
1. 1642 ई. में ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने विश्व का पहला यांत्रिक कैलकुलेटर (Mechanical Calculator) बनाया। इसे पास्कलीन (Pascalene) कहा जाता है।
2. 1833 ई. में अंग्रेज वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने स्वचालित कैलकुलेटर अर्थात् कम्प्यूटर की पहली बार परिकल्पना की। पर 40 वर्ष के अथक परिश्रम के बावजूद वे इसे बना न सके। उन्हें ‘आधुनिक कम्प्यूटर का जन्मदाता’ (Father of Modern Computer) कहा जाता है। सर्वप्रथम कम्प्यूटर प्रोग्राम (Computer Program) तैयार करने का श्रेय उनकी शिष्या एडा ऑगस्टा लवलेस (Ada Augsta Lovelace) को जाता है। उन्होंने अपने नाम पर कम्प्यूटर प्रोग्राम का नाम रखा–एडा
(Ada) |
3. 1880 ई. में हर्मन होलोरिथ ने बैबेज की परिकल्पना को साकार किया। उन्होंने एक इलेक्ट्रॉनिक टेबुलेटिंग मशीन बनाई, जो पंच कार्ड (punch cards) की मदद से सारा कार्य स्वचालित रूप से करती थी।
4.1937 में होवार्ड ऐकिन ने पहला यांत्रिक कम्प्यूटर (Mechanical Computer) मार्क I बनाया।
5. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान (1939-45) कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत आधुनिक कम्प्यूटर के सभी प्रमुख सिद्धांतों का विकास हुआ।
6. गणना मशीन के क्षेत्र में प्रथम क्रांति 1946 में तब आई जब जे.पी. एकर्ट एवं जॉन मॉश्ली ने विश्व के पहले इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर ENIAC-I (Electronic Numerical Integrator And Calculator) का आविष्कार किया।
7. कम्प्यूटर के विकास में सर्वाधिक योगदान जान वान न्यूमैन का है। जान वान न्यूमैन ने 1951 में कम्प्यूटर क्रांति को सही दिशा दी (द्वितीय क्रांति) । उन्होंने EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic Computer) का आविष्कार किया। इसमें उन्होंने संचयित प्रोग्राम (stored program) का इस्तेमाल किया। कम्प्यूटर के कार्य के लिए द्विआधारी पद्धति (Binary System) के प्रयोग का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
Topics of Computer Notes PDF:-
1. कम्प्यूटर
2. कम्प्यूटर के प्रकार
3. कम्प्यूटर के कार्य
4. कम्प्यूटर के भाग
5. कम्प्यूटर पद्धतियाँ
6. कम्प्यूटर तकनीक की पीढ़ियां
7. कम्प्यूटर की भाषाएँ
8. कम्प्यूटर वायरस
9. कम्प्यूटर नेटवर्किंग
10. कम्प्यूटर संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य
1. कम्प्यूटर Notes PDF :-
कम्प्यूटर का विकास 5 विभिन्न चरणों में हुआ है जिसके आधार पर कम्प्यूटर तकनीक को 5 पीढ़ियों में विभाजित किया गया है। इन पाँचो पीड़ियों के कम्प्यूटर के रिकॉर्ड में अलग अलग करना उनके अवयव के आधार पर किया जाता है।
2. Computer Notes कम्प्यूटर के प्रकार:-
A. आकार पर आधारित वर्गीकरण: आकार के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार होते हैं। ये हैं—
1. माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer):-इस प्रकार के कम्प्यूटर किसी एक प्रकार के व्यक्ति द्वारा उपयोग में लिए जाते हे जिनको व्यक्तिगत कम्प्यूटर (Personal Computer) या पी.सी. (P.C.) के नाम से पुकारा जाता है। ये एक प्रकार का ऐसा कंप्यूटर हे जो की छोटी सही जगह पर आ सकते हैं।इसको आसानी से अपने इस्तेमाल के लिए या फिर किसी भी प्रकार के ऑफिस हो या फिर अपने स्वयं के घरों या फिर सभी प्रकार के व्यवसायों में इस प्रकार के कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। स्टोरेज क्षमता और सभी प्रकार की जानकारियों को बड़ी मात्रा का रख-रखाव करने में अपनी सामर्थ्य के कारण आज इसका व्यापक पैमाने पर उपयोग हो रहा है।
2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer):- इस प्रकार के कम्प्यूटर आकार और इनके द्वारा किया गया सभी प्रकार के कार्य को करने की छमता ये कंप्यूटर बहुत ही छोटे प्रकार के होते हैं। इस प्रकार कम्प्यूटर एक भी प्रकार की जगह पर आते हैं तथा इस प्रकार के कंप्यूटर में एक साथ बीस-तीस टर्मिनल पर एक साथ कार्य किया जा है और ये एक माइक्रो कम्प्यूटर से लगभग 5 से 50 गुणा से अधिक क्षमता वाला होता है।
3. मेन फ्रेम कम्प्यूटर (Main Frame Computer):- इस प्रकार के कम्प्यूटर का आकार और आकृति बहुत ही बड़ी होती हे और इनका डिजाइन और साइज स्टील के एक बड़े फ्रेम को लगाकर किया जाता है। इस प्रकार के कम्प्यूटर की सामग्री करने की छमता वाला पी.सी. मिनी कम्प्यूटर से अधिक होता है। इस प्रकार के कम्प्यूटरों की समय सहभागिता (time sharing) एक ही समय में बहुत सरे व्यक्तिओ के द्वारा कार्य करने तथा बहुकार्य क्षमता (multi tasking) के द्वारा एक साथ अनेक व्यक्ति, कभी-कभी 100 से अधिक व्यक्ति अलग-अलग टर्मिनलों पर कार्य कर सकते हैं।
3. कम्प्यूटर के कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण कार्य पद्धति के अनुसार कम्प्यूटर के पाँच प्रकार होते हैं। ये हैं :-
1. अंकीय कम्प्यूटर (Digital Computers) : रोजमर्रा की भाषा में जब हम कम्प्यूटर शब्द का उच्चारण करते हैं तो उसका सीधा अर्थ होता है—अंकीय कम्प्यूटर। ये कम्प्यूटर सभी प्रकार की सूचनाओं को द्विआधारी पद्धति में बदलकर अपना कार्य करते हैं। ये सभी प्रकार की गणनाएँ गिनकर (जोड़कर) करते हैं। ये बहुत अधिक क्षमता से कार्य कर सकते हैं। लेकिन विशेषता यह होती है कि इनकी गणना अत्यंत शुद्ध होती है। इसमें किसी भी प्रकार की संक्रियाएँ की जा सकती हैं।
2. अनुरूप कम्प्यूटर (Analogue Computers) : एनालॉग एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है—दो राशियों में अनुरूपता खोजना। एनालॉग कम्प्यूटर में किसी भौतिक विधि या राशि को इलेक्ट्रॉनिक परिपर्थों की सहायता से विद्युत् संकेतों में अनुरूपित किया जाता है। जिस प्रकार अंकीय कम्प्यूटर राशियों को गिनकर कार्य करता है, उसी प्रकार अनुरूप कम्प्यूटर मापकर या नापकर अपना कार्य करता है।
इन कम्प्यूटरों की मदद से की गई गणनाओं की यथार्थता बहुत शुद्ध नहीं होती फिर भी 99% शुद्धता प्राप्त की जा सकती है।
3. संकर कम्प्यूटर (Hybrid Computers) : इस प्रकार कम्प्यूटर में अंकीय एवं अनुरूप दोनों कम्प्यूटरों की विशेषताओं का फायदा उठाया जाता है। इनका उपयोग स्वचालित उपकरणों में बहुतायत से किया जाता है। इस प्रकार का एक उपकरण रोबोट (Robot) है जिसकी सहायता से आजकल कई कार्य स्वचालित रूप से किये जा
रहे हैं।
4. प्रकाशीय कम्प्यूटर (Optical Computers): पंचम पीढ़ी के जिनमें एक अवयव को दूसरे से जोड़ने का कार्य ऑप्टिकल फाइबर तन्तु से किया गया है एवं गणना अवयव प्रकाशीय पद्धति पर गये हैं।
5. एटॉमिक कम्प्यूटर (Atomic Computer) कानेंगी विश्वविद्यालय में ऐसे परमाण्विक कम्प्यूटर पर अनुसंधान कार्य जारी है जो कि किसी खास प्रोटॉन परमाणुओं को एकीकृत परिपथ में बदल हे और कम्प्यूटर को इतनी अधिक स्मृति क्षमता प्रदान कर दे कि ऐसा कम्प्यूटर आज के कम्प्यूटर से 10,000 गुनी क्षमता वाला हो जाए।
कम्प्यूटर के कार्य कम्प्यूटर के प्रमुख तकनीकी कार्य चार प्रकार के होते हैं–
1. आँकड़ों का संकलन तथा निवेशन (Collection and Input)
2. आँकड़ों का संचयन (Storage)
3. आँकड़ों का संसाधन (Processing) और
4. आँकड़ों या प्राप्त जानकारियों का निर्गमन या पुनर्निर्गमन (Output or Retrieval) |
ये आँकड़ें या जानकारी लिखित, मुद्रित, श्रव्य, दृश्य, आरेखित या यांत्रिक चेष्टाओं के रूप में हो सकते हैं। कम्प्यूटर की इकाइयाँ कम्प्यूटर की चार मुख्य इकाईयाँ होती हैं—
1. निवेश इकाई (Input Unit),
2. केन्द्रीय संसाधन इकाई (Central Processing Unit-CPU)
3. बाह्य स्मृति इकाई (External Memory Unit) और
4. निर्गम इकाई (Output Unit) ।
4. Computer Notes PDF में कम्प्यूटर पद्धतियाँ (Computer Systems):-
कम्प्यूटर दो पद्धतियों से कार्य करता है-
1. हार्डवेयर व
2. सॉफ्टवेयर ।
1. हार्डवेयर (Equipment): कम्प्यूटर और उससे संलग्न सभी यंत्रों और उपकरणों को हार्डवेयर कहा जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय संसाधन एकक, आतंरिक स्मृति, बाह्य स्मृति, निवेश एवं निर्गम एकक आदि आते है। हार्डवेयर के दो मुख्य भाग होते हैं कम्प्यूटर तथा उससे जुड़ी हुई सारी युक्तियां जैसे मोडम, प्रिन्टर, डिस्क, टेपरिर्काडर आदि जिन्हें सम्मिलित रूप से परिधीय युक्तियाँ (Fringe Gadgets) कहा जाता है।
2. सॉफ्टवेयर (Software): कम्प्यूटर के संचालन के लिए निर्मित प्रोग्रामों को सॉफ्टवेयर कहा जाता है। ये निम्न प्रकार के होते हैं-
(a) प्रचालन पद्धति (Operating system) : कम्प्यूटर के आंतरिक कार्यों के लिए एवं कम्प्यूटर के साथ लगे अन्य युक्तियों के प्रचालन के लिए बनाए गए प्रोग्राम को प्रचालन पद्धति (operating system) कहते हैं।
(b) भाषा संसाधक (Language processor) : कम्प्यूटर के उपयोग करने वालों को दिए जाने वाले प्रोग्राम को भाषा संसाधक कहते हैं।
(c) उपयोगिता प्रोग्राम (Application programmer) : बाजार में बनाए जाने वाले प्रोग्रामों से अपने अनुकूल प्रोग्राम का चयन कर उसे अपने सूची पत्र (Menu) में डालकर उसका उपयोग करना उपयोगिता प्रोग्राम कहलाता है।
(d) उपनित्यक्रम प्रोग्राम (Subroutine programmer) : एक ही प्रोग्राम में बार-बार उपयोग में आने वाले छोटे-छोटे प्रोग्राम को उपनित्यक्रम प्रोग्राम कहते हैं।
(e) नित्यक्रम प्रोग्राम (Utility programmer) : जो सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जुड़े होते हैं तथा एक ही प्रोग्राम या अनेक प्रोग्राम में बार-बार उपयोग में लाए जाते हैं, उसे नित्यक्रम प्रोग्राम कहते हैं।
Computer Notes In Hindi
7. कम्प्यूटर की भाषाएँ Computer Notes में:-
कम्प्यूटर की भाषा को निम्न तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है—-
1. मशनी कूट भाषा (Machine code language) इस भाषा में प्रत्येक आदेश के दो भाग होते हैं-आदेश कोड (operation code) तथा स्थिति कोड (location code)। इन दोनों को 0 और 1 के क्रम में समूहित कर व्यक्त किया जाता है। कम्प्यूटर के आरंभिक दिनों में प्रोग्रामरों द्वारा कम्प्यूटर को आदेश देने के लिए 0 तथा 1 के विभिन्न
क्रमों का ही प्रयोग किया जाता था। यह भाषा समयग्राही थी, जिसके कारण एसेम्बली एवं उच्च स्तरीय भाषाओं का विकास किया गया।
2. एसेम्बली भाषा (Assembly language) इस भाषा में याद रखे जाने लायक कोड का प्रयोग किया गया, जिसे नमोनिक कोड (Mnenomic code) कहा गया। जैसे ADDITION के लिए ADD, SUBSTRACTION के लिए SUBएवं JUMP के लिए JMP लिखा गया। परन्तु इस भाषा का प्रयोग एक निश्चित संरचना वाले कम्प्यूटर तक ही सीमित था, अतः इन भाषाओं को निम्न स्तरीय भाषा (Low level languages) कहा गया।
3. उच्चस्तरीय भाषाएँ (High level languages): उच्चस्तरीय भाषाओं के विकास का श्रेय IBM कम्पनी को जाता है। फॉरट्रान (FORTRAN) नामक पहली उच्चस्तरीय भाषा का विकास इसी कम्पनी के प्रयास से हुआ। इसके बाद सैकड़ों उच्चस्तरीय भाषाओं का विकास हुआ। ये भाषाएँ मनुष्य के बोलचाल और लिखने में प्रयुक्त होने वाली
भाषाओं के काफी करीब है। कुछ उच्चस्तरीय भाषाएँ निम्न हैं—
(a) फॉरट्रान (FORTRAN): यह अंग्रेजी के शब्दों फॉर्मूला ट्रान्सलेशन (Formula Translation) का संक्षिप्त रूप है। कम्प्यूटर की इस भाषा का विकास IBM के सौजन्य से जे. डब्ल्यू बेकस ने 1957 ई. में किया था। इस भाषा का विकास गणितीय सूत्रों को आसानी से और कम समय में हल करने के लिए किया गया था । वैज्ञानिक कार्यों के लिए इस भाषा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
(b) कोबोल (COBOL): कोबोल वास्तव में कॉमन बिजिनेस ओरियेन्टेड लैंग्वेज (Common Business Oriented Language) का संक्षिप्त रूप है। इस भाषा का विकास व्यावसायिक हितों के लिए किया गया। इस भाषा के संक्रिया के लिए लिखे गए वाक्यों के समूह को पैराग्राफ कहते हैं। सभी पैराग्राफ मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं और सेक्शनों से मिलकर डिवीजन बनता है।
(c) बेसिक (BASIC) : यह अंग्रेजी के शब्दों बिगनर्स ऑल पर्पस सिम्बॉलिक इंस्ट्रक्शन कोड (Beginners All Purpose Symbolic Instruction Code) का संक्षिप्त रूप है। इस भाषा में प्रोग्राम में निहित आदेश के किसी निश्चित भाग को निष्पादित किया जा सकता है, जबकि इससे पहले की भाषाओं में पूरे प्रोग्राम को कम्प्यूटर में डालना होता था और प्रोग्राम के ठीक होने पर आगे के कार्य निष्पादित होते थे।
(d) अल्गोल (ALGOL) : यह अंग्रेजी के अल्गोरिथमक लैंग्वेज (Algorithmic Language) का संक्षिप्त रूप है। इसका निर्माण जटिल बीजगणितीय गणनाओं में प्रयोग हेतु बनाया गया था ।
(e) पास्कल (PASCAL): यह अल्गोल का परिवर्द्धित रूप है। इसमें सभी चरों को परिभाषित किया गया है, जिसके कारण यह अल्गोल एवं बेसिक से भिन्न है। इसका नामकरण फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के नाम पर किया गया है।
(f) कोमाल (COMAL) : यह Common Algorithmic Language का संक्षिप्त रूप है। इस भाषा का प्रयोग माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए किया जाता है।
(g) लोगो (LOGO): इस भाषा का प्रयोग छोटी उम्र के बच्चों को ग्राफिक रेखानुकृतियों की शिक्षा देने के लिए किया जाता है।