All Math Notes Formula PDF Download

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मैथ की सभी प्रकार की परीक्षा और उसके सभी अध्यायों में फार्मूले एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्यों की आपको मैथ के क्वेश्चन को सॉल्व करने के लिए फार्मूला की जरूरत पड़ती हे। Mathematics Formula PDF ! गणित के सूत्र सभी विषयों में होते हैं, जिन्हें अच्छी तरह से समझा जाना चाहिए। इन Math Formulas PDF का उपयोग करके आप सभी प्रकार के मैथ के क्वेश्चन को आसानी से अपनी समझ से सोल्वे कर सकते हैं और परीक्षा के दौरान समय बचा सकते हैं।

जब आप परीक्षा के दौरान होंगे तो, Math Notes Formula आपको समझने और समस्याओं को हल करने में मदद करेंगे। इसलिए, अच्छी तरह से नोट्स तैयार करें और परीक्षा के दौरान उन्हें सही ढंग से उपयोग करें।

फार्मूले गणित में विभिन्न विषयों में उपयोग किए जाने वाले सुझाए गए सूत्रों का संग्रह होते हैं। इन Important Maths Formula PDF Download का उपयोग समस्याओं को समझने, समाधान करने, और अन्य गणितीय प्रक्रियाओं में सुधार करने के लिए किया जाता है। ये अधिकतर फार्मूले परीक्षाओं में उपयोगी होते हैं, जहाँ आपको समय कम होता है और आपको समस्याओं को त्वरित रूप से हल करने की जरूरत होती है।

आपको यहा पर मैथ के बेसिक फार्मूला दिए गए हे और इसके साथ ही Maths Formula Book PDF Free Download में आपको बेसिक से एडवांस लेवल तक के फार्मूला सभी प्रकार के आपको मैथ के फार्मूला मिल जायेंगे।

Math Formula ये आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकते हैं:

  1. समान्तर श्रेणी का सूत्र:- यह सूत्र बताता है कि दो समान्तर श्रेणियों के बीच अधिकांश संख्याओं का अंतर समान होता है। इस सूत्र के उपयोग से आप किसी भी समान्तर श्रेणी की समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं।
  2. त्रिभुज के क्षेत्रफल का सूत्र:- यह सूत्र बताता है कि किसी त्रिभुज के क्षेत्रफल का आसान से निर्धारण किया जा सकता है। इस सूत्र के उपयोग से आप त्रिभुज समस्याओं को त्वरित रूप से हल कर सकते हैं।
  3. दोनों समान अधोवर्तिकाओं के बीच केंद्र की स्थान सूत्र:- यह सूत्र बताता है कि दो समान अधोवर्तिकाओं के बीच केंद्र की स्थान कैसे निर्धारित किया जाता है। इस सूत्र के उपयोग से आप समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं, जो दो समान अधोवर्तिकाओं के बीच केंद्र की स्थान निर्धारित करने के लिए होती हैं।
  4. समान्तर श्रेणियों में बाहु लम्बाई सूत्र:- यह सूत्र बताता है कि दो समान्तर श्रेणियों के बाहु लम्बाई में अंतर दोनों श्रेणियों के बीच एक संख्या से विभिन्न होता है। इस सूत्र का उपयोग समस्याओं को आसानी से हल करने में किया जा सकता है, जहाँ आपको समान्तर श्रेणियों में दो बाहुओं के बीच अंतर का पता लगाना होता है।
  5. वर्ग और वर्गमूल सूत्र:- यह सूत्र बताता है कि एक संख्या का वर्ग और उसका वर्गमूल कैसे निर्धारित किए जाते हैं। इस सूत्र के उपयोग से आप समस्याओं को त्वरित रूप से हल कर सकते हैं, जहाँ आपको किसी संख्या का वर्ग या उसका वर्गम
  6. त्रिकोणमिति सूत्र:- यह सूत्र त्रिकोणमिति से संबंधित होता है और इसका उपयोग त्रिभुज समस्याओं को हल करने में किया जाता है। यह सूत्र साइन, कोसाइन और टैंजेंट जैसी त्रिकोणमिति फलनों को बताता है।
  7. आर्थिक मानचित्र और वाणिज्य सूत्र:- यह सूत्र आर्थिक मानचित्र और वाणिज्य से संबंधित होता है और इसका उपयोग विभिन्न आर्थिक समस्याओं को हल करने में किया जाता है। यह सूत्र विभिन्न आर्थिक मानचित्र और उनमें उपलब्ध संख्याओं को बताता है।
  8. सरलीकरण सूत्र:- यह सूत्र सरलीकरण से संबंधित होता है और इसका उपयोग विभिन्न अंशों को सरल रूप में लिखने के लिए किया जाता है। यह सूत्र आलग-आलग अंशों को एक ही अंश में सरल करने के लिए उपयोग में आता है।
  9. प्रायिकता सूत्र:- यह सूत्र संभावना और प्रायिकता से संबंधित होता है और इसका उपयोग विभिन्न संभावनाओं या प्रायिकताओं को निर्धारित करने में किया जाता है।

Math Formula PDF Topics:- 

Trigonometry
1. Trigonometrical Identities
2. Trigonometrical Equation and General Solution
3. Inverse Trigonometrical (circular) Function
4.Logarithms
5. Properties of Triangle
6. Heights and Distances

Algebra
7. Sequence & Series
8. Complex Number
9. Quadratic Equations
10. Permutation and Combination
11. Binomial Theorem
12. Determinant and Matrices
13. Logarithmic & Exponential Series

Co-Ordinate Geometry
14 Co-ordinates
15 Straight Lines
16 Circle
17 Conic Section

Calculus
18 Function
19 Limit
20 Differentiation

21 Application of dx
22 Integration
23. Area Enclosed By Standard Curves
24. Differential Equations
25. Probability….
26 Set Theory
27 Vector
83-D Co-ordinate Geometry

1. Trigonometrical Identities Math Notes Formula :-

1. प्रथम पाद (1st quadrant) में sin का मान 0 से 1 तक बढ़ता है जबकि cos का मान 1 से 0 तक घटता है ।

2. द्वितीय पाद (second quadrant) में sin का मान 1 से 0 तक घटता है एवं cos का मान 0 से -1 तक घटता है ।

3. तृतीय पाद (Third quadrant) में sine का मान 0 से -1 तक घटता है, जबकि cos का मान -1 से शून्य तक बढ़ता है ।
4. चतुर्थपाद (fourth quadrant) में sine का मान -1 से 0 तक बढ़ता है एवं cos का मान 0 से 1 तक बढ़ता है ।
➤sin (A + B) = sinA cosB + cosA sinB
sin (AB) = sinA cosB – cosA sinB
sin (A + B) + sin (A – B) = 2sinA cosB
sin (A + B)- sin (A – B) = 2cosA.sinB
sin (A + B) sin (A – B) = sin²A – sin² B = cos² B-cos²A
cos (A + B) = cosA.cosB – sinA.sinB
cos (A-B) = cosA cosB + sinA.sinB
cos (A + B) + cos (A – B) = 2cosA cosB
cos (A-B)- cos (A + B) = 2sinA.sinB

2.Logarithms All Math Formula :-

यदि ah x जहाँ x> 0 0 > 0 एवं 1 तो log x = m. दूसरे शब्दों में यदि log, x M परिभाषित हो तो log x = ma” = x
अतः ath = x 4 log x=m

Logarithms के नियम
(i)log, 1 = 0 यदि a > 0 एवं a = 1
(ii)log a = 1 यदि a > 0 एवं a = 1
(iii)log.m.n = logam + logan
log, 1 = 0 यदि a > 0 एवं a = 1
log a = 1 यदि a > 0 एवं a = 1
(vii) loga x log b = 1
(xi)logink के मान में पूर्णांश भाग को characteristics एवं दशमलवांश भागको Mantissa कहा जाता है।
(xii) यदि x > 1 तो logox में characteristics का मान x में दशमलव बिन्दु के बायें अंकों की संख्या से एक कम होता है।
(b) log10 374.27 का characteristics = 2
(xiii) यदि 0 < x < 1 तो logiox का characteristics दशमलव बिन्दु एवं first significant digit के बीच शून्यों की संख्या से एक अधिक ऋणात्मक मान में होता है। Characteristics के रूप में -1, 2, 3… आदि का प्रयोग क्र
मश: 1 (one-bar) 2 (two-bar), 3 (three-bar) आदि के रूप में होता है।
(xiv) यदि log x = y तो Antilogy = x

3. Sequence & Series Math Notes Formula:-

→ अनुक्रम (sequence)—संख्याओं के ऐसे समुच्चय को अनुक्रम कहा जाता है जिसको किसी निश्चित क्रम में रखा गया हो और जिसकी रचना किसी निश्चित नियम के अनुसार हुई हो। जैसे— 2, 4, 6, 8… आदि संख्याओं का समुच्चय, एक अनुक्रम है।

→ श्रेणी (series)–किसी अनुक्रम के पदों को धन (+) अथवा ऋण (-) चिन्हों द्वारा सम्बन्धित कर देते हैं तो उसे श्रेणी (series) कहते हैं। 1 +3+5+7+ … श्रेणी है।

> समांतर श्रेढ़ी (Arithmetic Progression)—समांतर श्रेढ़ी वैसे अनुक्रम को कहते हैं जिसमें प्रत्येक पद पूर्व वाले पद में कोई निश्चित संख्या जोड़ने या घटाने से प्राप्त होता है। समांतर श्रेढ़ी के किसी पद (term) में से उसके पूर्व के पद को घटाने पर प्राप्त संख्या पदांतर (common difference) कहलाती है।

अर्थात् t2 – ty = t3 – 2=ts-b=..
यहाँ th, n वें पद को व्यक्त करता है।
> यदि किसी A.P. का प्रथम पद a हों एवं पदांतर d हों, तो A. P. होगा –
a, (a + d), (a + 2d), (a + 3d) a + c
> यदि a, b, cAP. में हों, तो b = 2
> समांतर श्रेढ़ी (A. P.) का भवाँ पद t, = a + (n – 1)d, जहाँ a प्रथम पद एवं d पदांतर
> समांतर श्रेढ़ी (A.P.) के प्रथम n पदों का योग S पद एवं d पदांतर (C.D.) हैं ।
> समांतर श्रेढ़ी (A.P.) के गुण-
(a) किसी A.P. के प्रत्येक पद में समान संख्या जोड़ने अथवा घटाने पर प्राप्त Sequence भी A.P. में होता है । (common difference) है।
n {2a + (n – 1)d}, जहाँ a प्रथम
(b) किसी A.P. के प्रत्येक पद में समान संख्या से गुणा करने अथवा भाग देने पर प्राप्त Sequence भी A.P. में होता है ।
(c) दो A.Ps. के संगत पदों को जोड़ने एवं घटाने करने पर प्राप्त Sequence भी A.P. में होता है ।
(d) यदि किसी sequence का ½ वाँ पद, ” का रैखिक व्यंजक (linear expression) हो तो वह sequence A.P. में होगा।

11 (e) यदि किसी sequence के प्रथम पदों का योगफल n का एक द्विघातीय व्यंजक हो तो वह sequence A.P. में होगा।
a एवं b के बीच समांतर माध्य (Arithmetic Mean) : दो दी गई संख्याओं के बीच 1 समान्तर माध्यों (arithmetic means) का योगफल, उनके बीच एक समान्तर माध्य (single arithmetic mean) का n गुना होता है।

(a) समांतर श्रेढ़ी के तीन लगातार पद : a – B, a, a + B तो
(b) समांतर श्रेढ़ी के चार लगातार पद: a – 3B, a – B, a + B, a + 3B
(c) समांतर श्रेढ़ी के पाँच लगातार पद : a – 2B, a – B, a, a + B, a + 2B

4. Quadratic Equations Math Formula PDF:-

= ax2 + bx + c = 0 द्विघातीय समीकरण (Quadratic Equation) का व्यापक रूप (General form) है जहाँ a, b, ER एवं a 0
> द्विघातीय समीकरण (Quadratic Equation) के दो मूल (Roots) होते हैं जिन्हें a. एवं B द्वारा निरूपित करते हैं।
> ax2 + bx + c = 0, तो x = – b ° √ b = – 4ac /2a

> b2-4ac को समीकरण ax2 +bx+c=0 का विवेचक या विविक्तिकर (Discriminant) कहते हैं एवं इसे ‘D’ द्वारा निरूपित करते हैं ।
>यदि b2 – 4ac का मान शून्य होगा, तो समीकरण के मूल (Roots) वास्तविक एवं -b समान होंगे। ऐसी स्थिति में प्रत्येक मूल के बराबर होता है।
> यदि 62 – 4ac > 0 हो, तो समीकरण के मूल (Roots) वास्तविक एवं असमान होंगे।
> यदि b2 – 4ac < 0 हो, तो समीकरण के मूल (Roots) अवास्तविक समिश्र संख्याएँ (Conjugate Complex Numbers) होंगे अर्थात् एक मूल यदि p +qi है, तो दूसरा
मूल p – qi होगा ।
यदि D≥ 0 हो, तो समीकरण के मूल वास्तविक होंगे।
> यदि a, b, c परिमेय (Rational) हो एवं D पूर्ण वर्ग हो, तो समीकरण के दोनों मूल परिमेय (Rational) होंगे ।
> यदि a, b, c परिमेय (Rational) हो एवं D पूर्ण वर्ग, न हो, तो समीकरण के दोनों मूल (Roots) अपरिमेय (Irrational) होंगे एवं एक-दूसरे के (Conjugate) होंगे । यदि a + b + c = 0 हो, तो समीकरण ax + bx + c = 0 का एक मूल 1 एवं दूसरा C होगा।

मूल समीकरण के मूलों (Roots) का योग = a + B = -b/a

समीकरण के मूलों (Roots) का गुणनफल = a·B = a

यदि a एवं B किसी द्विघातीय समीकरण (Quadratic Equation) के दो मूल हों, तो वह समीकरण होगा-
x 2 – (a + B) x + aB = 0

5. Permutation and Combination Math Notes Formula:-

> प्रथम n प्राकृत संख्याओं (Natural Numbers) के गुणनफल को Factorial n कहते हैं एवं इसे या [n ! द्वारा निरूपित करते हैं ।
1-1
|2 = 1 × 2 = 2 × 1
| 3 = 1 × 2 × 3 = 3 x 2 × 1
| 4 = 1 × 2 × 3 × 4 = 4 × 3 × 2 × 1
|5 = 1 × 2 × 3 × 4×5 = 5×4x3x2x1
|6 = 1 × 2 × 3 × 4 × 5 × 6 = 6×5× 4× 3 × 2 × 1
इसी प्रकार,
n=n(n-1) (n-2) (n-3)… 3.2.1

> यदि कोई क्रिया कई चरणों (steps) में विभक्त हो एवं पहले चरण (step) को करने के mतरीके हो, दूसरे चरण (step) को करने के तरीके हो, तीसरे चरण (step) को करने के p तरीके हो.
तो पूरी क्रिया को करने के तरीके =m.n.p

6. Co-ordinates Math Topics Formula:- 

1. 90° से छोटे कोण को न्यूनकोण (Acute angle), 90° के कोण को समकोण (Right angle) एवं 90° से अधिक एवं 180° से छोटे कोण को अधिक कोण (obtuse angle) कहते हैं।

2 जब दो कोणों का योग 90° होता है, तो वे दोनों कोण एक दूसरे के कोटिपूरक या पूरक या अनुपूरक कोण (complementary angles) कहलाते हैं।

3. जब दो कोणों का योग 180° होता है, तो वे दोनों कोण एक-दूसरे के समपूरक कोण (supplementary angles) कहलाते हैं। समबाहु त्रिभुज की सभी भुजाएँ समान लम्बाई की होती हैं एवं प्रत्येक कोण का मान 60° होता है।

5. समद्विबाहु त्रिभुज की कोई दो भुजाएँ समान लम्बाई की होती हैं।

* त्रिभुज की तीनों माध्यिकाएँ जिस बिंदु से होकर जाती है, उसे त्रिभुज का गुरुत्वकेन्द्र या केन्द्रक (Centroid) कहते हैं। गुरुत्वकेन्द्र प्रत्येक माध्यिका को 2:1 के अनुपात
में बाँटता है।

7. त्रिभुज के कोणों के समद्विभाजक जिस बिंदु पर मिलते हैं, उसे त्रिभुज का अन्तःकेंद्र (Incentre) कहते हैं। अन्तः केन्द्र से भुजाओं का perpendicular distance बराबर
होता है।

8. त्रिभुज के शीर्षों से सम्मुख भुजाओं पर डाले गये लंब जिस बिंदु पर मिलते हैं, उसे त्रिभुज का लम्ब केंद्र (Orthocentre) कहते हैं | समकोण त्रिभुज का लम्ब केन्द्र समकोण वाले शीर्ष पर होता है।
9. त्रिभुज के भुजाओं के लम्ब समद्विभाजक जिस बिन्दु पर मिलते हैं, उसे त्रिभुज का परिकेन्द्र (circumcentre) कहते हैं। परिकेन्द्र से तीनों शीर्षों की दूरी समान होती
है। समकोण त्रिभुज का परिकेन्द्र कर्ण के मध्यबिन्दु पर होता है।

10. समबाहु त्रिभुज के चारों प्रकार के केन्द्र, गुरुत्वकेन्द्र (centroid), अन्तः केन्द्र (in- centre), परिकेन्द्र (circumcentre) एवं लम्बकेन्द्र (orthocentre) एक ही बिन्दु पर स्थित होते हैं।

11. समान्तर चतुर्भुज (Parallelogram) की आमने-सामने की भुजाएँ समान लम्बाई की। होती हैं एवं विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।

12. आयत के आमने-सामने की भुजाएँ समान्तर एवं बराबर, सभी कोण समकोण एवं विकर्ण बराबर होते हैं। इसके विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
13. वर्ग की सभी भुजाएँ बराबर, सभी कोण समकोण, विकर्ण बराबर एवं एक-दूसरे लम्ब समद्विभाजक होते हैं
14. विषम कोण समचतुर्भुज की सभी भुजाएँ बराबर’ एवं विकार्य एक-दूसरे के है। समद्विभाजक होते हैं।
15. समलम्ब चतुर्भुज की सिर्फ एक जोड़ी भुजाएँ समान्तर होती हैं ।
16. वृत्त पर स्थित दो बिंदुओं को मिलाने वाले रेखा खण्ड को जीवा (Chord) कहते हैं।
17. व्यास, वृत्त की सबसे लम्बी जीवा होती है। इसकी लम्बाई त्रिज्या की दुगुनी होती है।
18. वृत्त के बाहर स्थित किसी बिन्दु से वृत्त पर सिर्फ दो स्पर्श रेखाएँ खींची जा सकती। हैं। इन स्पर्श रेखाओं की लम्बाइयाँ बराबर होती हैं ।
19. वृत्त के केन्द्र से जीवा पर डाला गया लम्ब उसे (जीवा) समद्विभाजित करता है।
20. किसी वृत्त की सभी समान जीवाएँ वृत्त के केन्द्र से समदूरस्थ (equidistant) होती हैं।

> समतल के किसी बिन्दु को (x, y) तरीके से व्यक्त करना जहाँ x बिन्दु की y – अक्ष से दूरी एवं y, बिन्दु की x – अक्ष से दूरी दर्शाता है, बिन्दु को दर्शाने का कार्तीय नियामक पद्धति (cartesian co-ordinate system) कहलाता है और (x, y) बिन्दु का कार्तीय नियामक कहलाता है। यहाँ, x को (x, y) बिन्दु का x-नियामक या भुज (abscissa) एवं y को (x, y) बिन्दु का y- नियामक या कोटि (ordinate) कहते हैं ।

7. Straight Lines Math Notes PDF :-

★ सरल रेखा का ढाल (slope) – कोई सरल रेखा x अक्ष के धनात्मक दिशा के साथ जो कोण बनाती है उस कोण के स्पर्शज्या (tangent) को उस सरल रेखा का ढाल (Slope) या प्रावण्य (gradient) कहते हैं। यदि सरल रेखा x अक्ष के धनात्मक दिशा के साथ कोण बनाये तो, ढाल m= tane

Example 1. यदि कोई सरल रेखा x अक्ष के धनात्मक दिशा के साथ 60° का कोण बनाये, तो ढाल tan 60° = √3

Note: सरल रेखा का अक्षों से बराबर झुके होने का अर्थ है कि ढाल = 1 है। x-अक्ष के समान्तर रेखाओं का ढाल 0 होता है।

* अन्तः खण्ड (Intercept)—कोई सरल रेखा किसी अक्ष को जिस बिन्दु पर काटती है उस बिन्दु की मूल बिन्दु से दूरी, उस सरल रेखा द्वारा उस अक्ष पर काटा गया। अन्तः खण्ड कहलाता है। अन्तः खण्ड काटे गये बिन्दु के धनात्मक या ऋणात्मक दिशा में होने के आधार पर धनात्मक अथवा ऋणात्मक होता है।

उदाहरण के लिए यदि कोई सरल रेखा x-अक्ष को बिन्दु (4, 0) पर काटती है, तो 3-अक्ष पर काटा गया अन्तःखण्ड 4 होगा एवं यदि (–4, 0) पर काटे तो अन्तः खण्ड – 4 होगा।

★ उस सरल रेखा का समीकरण जो y-अक्ष पर अन्तः खण्ड c काटती है और जिसका ढाल m है— [y =mx + c सरल रेखा का यह रूप slope Intercept form कहलाता

★ उस सरल रेखा का समीकरण जिसका ढाल m हो और जो एक दिए हुए बिन्दु (Z, ४,) से होकर जाती है—y -y. =m (x – x,) सरल रेखा का यह रूप slope-point form कहलाता है।

● अक्ष का समीकरण y = 0 तथा y-अक्ष का समीकरण x =0 होता है।

★ 1-अक्ष के समान्तर सरल रेखा का व्यापक समीकरण (General equation) y = c

● होता है जहाँ c नियतांक (constant) है।

★y-अक्ष के समान्तर सरल रेखा का व्यापक समीकरण (General equation) होता है।

* 1 और y में एक घात का समीकरण ax + by + c = 0 हमेशा एक सरल रेखा के समीकरण को निरूपित करेगा।

• जिस सरल रेखा के समीकरण में constant पद नहीं होगा वह मूल बिन्दु से होकर अवश्य जायेगी।

★ समीकरण ax + by+c=0 का ढाल -x का co – efficient y का co – efficient b
★ समीकरण ax + by + C = 0 द्वारा x-अक्ष पर काटा गया अन्तः खण्ड होता है।
tan 6 = + पर काटा गया अन्तः खण्ड

★ दो सरल रेखाओं, जिनके ढाल क्रमशः m, एवं m, हो एवं उनके बीच का कोण यदि 9 हो तो

Note : इस सूत्र से वैसे दो रेखाओं के बीच का कोण ज्ञात नहीं किया जा सकता जिनमें से एक रेखा x-अक्ष पर लम्ब हो। ऐसी स्थिति में दोनों रेखाओं के बीच का कोण 8 = 6, – 0, सूत्र से निकाला जाता है जहाँ 0, एवं 0, रेखाओं द्वारा x – अक्ष से बना कोण है ।

★ दो सरल रेखाएँ परस्पर समान्तर होंगी यदि उनके ढाल समान हो अर्थात् 1714 = 172
★ दो सरल रेखाएँ परस्पर लम्बवत् होगी यदि उनके ढालों का गुणनफल -1 हो अर्थात् m,m2 = -1

★ दो सरल रेखाओं के कटान बिन्दु (Point of intersection) के नियामक (co-ordinates) ज्ञात करने के लिए उनके समीकरण हल किया जाता है। इससे प्राप्त x एवं y का मान कटान बिन्दु का क्रमशः -नियामक एवं y-नियामक होता है।

★x और y में ऐसे समीकरण जिनके प्रत्येक पद में तथा y के घातों का योग बराबर हो समघातीय समीकरण (Homogeneous equation) कहलाते हैं और प्रत्येक पद
के घातों का योग उस समीकरण का घात (degree) कहलाता है ।
★ ax2 + 2hxy + by± = 0 दो घात के समघातीय समीकरण का सामान्य रूप (General form) है।
* दो घात का समघाती समीकरण (Homogeneous equation) अर्थात् ar* + 2007 + by 2 = 0 हमेशा एक जोड़ी सरल रेखाओं को व्यक्त करता है। ये रेखाएँ वास्तविक
होगी यदि h2 – abz 0

8. Conic Section Math Notes Formula PDF:-

यदि किसी समतल में कोई बिन्दु इस प्रकार गति करे कि एक स्थिर विन्दु से इसकी दूरी तथा एक स्थिर सरल रेखा से इसकी दूरी का अनुपात स्थिर (constant) रहता
है, तो उस बिन्दु के बिन्दुपथ (locus) को शंकु-परिच्छेद (conic section) या शांकव (conic) कहते हैं। स्थिर बिन्दु को शंकु-परिच्छेद (conic section) का नामि (focus)
एवं स्थिर रेखा को शंकु-परिच्छेद का नियंता (Directrix) कहा जाता है। दूरियों के निश्चित अनुपात को उत्केन्द्रता (eccentricity) कहते हैं। इसे e से निरूपित करते यदि e = 1 हो तो conic section परवलय (Parabola) कहा जाता है।

यदि e<1 हो तो शंकु-परिच्छेद (conic section) को दीर्घवृत्त (ellipse) कहा जाता है।

1. यदि e > 1 हो तो शंकु-परिच्छेद (conic section) को अतिपरवलय (hyperbola) कहा जाता है।

> यदि नाभि (focus), directrix पर स्थित हो तो ऐसी स्थिति में conic section एक जोड़ी सरलरेखाओं (pair of straight lines) के रूप में होता है। इसे degenerated
conic कहते हैं ।

यदि Directrix अनन्त (Infinity) पर हो तो e = 0 होगा। ऐसी स्थिति में conic section एक वृत्त होगा।

> सरलरेखा जो नाभि (focus) से होकर जाती है एवं directrix पर लम्ब हो conic section का अक्ष (axis) कहलाती है।

2 Conic Section का अक्ष उसे जिस बिन्दु पर प्रतिच्छेद (Intersect) करता है वह बिन्दु conic section का शीर्ष (vertex) कहलाता है। Conic section पर स्थित दो बिन्दुओं को जोड़ने वाला रेखाखण्ड जीवा (chord) कहलाता है।

> जो जीवा (chord), नाभि (focus) से होकर जाता है वह नाभि जीवा (focal chord) कहलाता है।

> जीवा जो नाभि (focus) से होकर जाता है एवं अक्ष (axis) पर लम्ब है, नाभिलम्ब (Latus rectum) कहलाता है।
> समीकरण ax2 + 2hxy + by + 2gx + 2fy + c = 0 में यदि a, b, c, 8 एव इस प्रकार हों कि abc +’-2fgh-af – bg-ch = 0

All Math Notes Formula PDF:- 

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9. Function Math Notes PDF Download :-

– चर राशियाँ (variables): परिवर्तनशील राशियों को चर (variables) कहते हैं। अर्थात् वे राशियाँ जिनका मान बदलता रहता है। ऐसी राशियाँ सामान्यतः x, y, z, u, , w
आदि के द्वारा निरूपित की जाती है।

→ अचर राशियाँ (constants): वे राशियाँ जिनका मान गणित की प्रत्येक संक्रिया (operation) में अपरिवर्तित रहता है, अचर कहलाती है। वैसी चर राशि जिसका मान स्वेच्छा से बदला जा सकता हो स्वतंत्र चर (Independent variable) कहलाता है। वैसी चर राशि जिसका मान स्वेच्छा से नहीं बल्कि किसी नियम के अनुसार दूसरे के मान में परिवर्त्तन से बदलता है परतन्त्र चर (dependent variable) कहलाता है। उदाहरण के लिए त्रिज्या वाले वृत का क्षेत्रफल A = r 2 में स्वतंत्र चर (Independent variable) एवं A परतन्त्र चर (Dependent Variable) है ।

> फलन (Function) : यदि दो राशियाँ x (Independent Variable) एवं y (dependent variable) किसी नियम ‘f’ के द्वारा इस प्रकार सम्बद्ध (related)हों कि x के प्रत्येक मान के लिए y का एक निश्चित एवं अद्वितीय (Unique) मान प्राप्त हो तो ५ को x का f फलन कहते हैं । इसे y = f (x) द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

xके उन सभी वास्तविक मानों का समुच्चय जिनके लिए फलन (function) परिभाषित है, फलन का प्रभाव क्षेत्र (Domain) कहलाता है। किसी फलन के प्रभाव क्षेत्र (Domain) की सभी राशियों x के संगत y के मानों का समुच्चय फलन का परास (Range) कहलाता है।

10. Probability Math Notes PDF Formula :-

यदृच्छया प्रयोग (Random Experiment) : वैसे प्रयोग जिनके परिणाम निश्चित नहीं होते हैं अर्थात् जिनके परिणाम के बारे में कोई निश्चित भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है यदृच्छया प्रयोग (Random Experiment) कहलाते हैं। जैसे-ताश की गड्डी से एक पत्ता का at random निकालना, सिक्के को उछालना, पासा फेंकना आदि Random Experiment हैं ।

प्रतिदर्श समष्टि (Sample Space) : किसी यदृच्छया प्रयोग (Random Experiment) से प्राप्त सभी संभव परिणामों के समुच्चय को प्रतिदर्श समष्टि (Sample Space)
कहते हैं । इसे S द्वारा निरूपित करते हैं । किसी Sample Space में अवयवों की संख्या को n (S) से सूचित करते हैं ।

एक सिक्के को उछालने पर-
S = {H, T} जहाँ H एवं T क्रमशः Head तथा Tail को सूचित करते हैं, अतः n (S) = 2

दो सिक्के को उछालने पर-
S = {HH, HT, TH, TT} अतः n(S) = 4

> तीन सिक्के को उछालने पर- n(S) = 2 x 2 x 2 = 8
> इसी प्रकार n सिक्के उछालने पर n ( S ) = 2″
> एक पासे को फेंकने पर- S = {1, 2, 3, 4, 5, 6} अतः n (S) = 6
> दो पासों को एक साथ फेंकने पर- n(S) = 6 x 6 = 36
ताश की गड्डी से एक पत्ता at random निकालने पर n(S) = 52C) = 52 (ताश की गड्डी में 52 विभिन्न पत्ते होते हैं),
ताश की गड्डी से दो पत्ते at random निकालने पर n(S) = 52C2
ताश की एक गड्डी से विभिन्न पत्ते निकालने परn (S) = 52C,

* वैसी घटना जिसमें केवल एक ही अवयव हो सामान्य घटना (simple event) कहलाती है।

> घटना (Event) Sample Space के किसी भी उपसमुच्चय (Subset) को घटना (Event) कहा जाता है। किसी घटना B में अवयवों की संख्या को n(E) द्वारा सूचित करते हैं। जैसे-एक पासे को फेंकने पर सम संख्या का आना एक घटना है,

यहाँ – E- ( 2, 4, 6); n (E) = 3
असम्भव घटना (Impossible Event) : प्रत्येक समुच्चय का उपसमुच्चय होता. है, अतः , sample space का भी उपसमुच्चय होगा । इसे असम्भव घटना (Impossible event) कहते हैं।

निश्चित घटना (Sure Event) : वैसी घटना जिसमें sample space के सभी अवयव हों अर्थात् इसके बराबर हो, निश्चित घटना कहलाता है । जैसे एक सिक्के को
फेंकने पर (H, T} की घटना
→ प्रायिकता (Probability): किसी घटना (Event) में अवयवों की संख्या एवं sample में अवयवों की संख्या के अनुपात को उस घटना की प्रायिकता कहते हैं।
यदि किसी घटना को E से, Sample space को S से, तथा घटना E के प्रायिकता को P(E) से सूचित किया जाय तो P (E) , n (E), n (S)

Note : (i) असंभव घटना की प्रायिकता शून्य एवं निश्चित घटना की प्रायिकता 1 होती है। अर्थात् P (4) = 0 एवं P (S) = 1
(ii) किसी घटना की न्यूनतम प्रायिकता शून्य तथा अधिकतम प्रायिकता 1 होती है, क्योंकि किसी घटना में कम-से-कम शून्य अवयव और अधिक-से-अधिक Sample space के अवयवों के बराबर अवयव होते हैं । अर्थात् 0 ≤ P(E) ≤ 1

(iii) किसी घटना E के नहीं घटने की घटना को E’ द्वारा सूचित करते हैं और P (E’) = 1 – P (E) या, P (E) + P (E’) = 1 रंग के होते हैं, 26 लाल पत्तों में 13 लाल-पान (hearts) एवं 13 इट्टा (diamonds) होते Note : ताश की एक गड्डी में 52 पत्ते होते हैं जिसमें 26 लाल रंग के और 26 काले हैं और 26 काले पत्तों में 13 काला पान (spades) और 13 चिड़ियाँ (Clubs) होते हैं।

11. Set Theory Math Notes PDF Topic Formula:-

→ वस्तुओं के सार्थक संग्रह को समुच्चय (set) कहा जाता है।
समुच्चय का नाम अंग्रेजी वर्णमाला के Capital Letter द्वारा दिया जाता है।
किसी समुच्चय A में अवयवों (elements) की संख्या को n(A) द्वारा निरूपित
करते हैं।

जिस समुच्चय में एक भी अवयव नहीं होता है उसे रिक्त समुच्चय (Null set or empty set or void set) कहते हैं। इसे 4 या { } द्वारा निरूपित करते हैं।

जिस समुच्चय में केवल एक सदस्य हो उसे एकल-समुच्चय (singleton set) कहते हैं।
जिस समुच्चय में सिर्फ दो सदस्य हो उसे युग्म समुच्चय (Pair set) कहते हैं।
जिस समुच्चय में अवयवों (elements) की संख्या निश्चित हो उसे परिमित समुच्चय (Finite set) कहते हैं। जैसे A = {1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8}

– जिस समुच्चय में अवयवों (elements) की संख्या अनिश्चित हो उसे अपरिमित समुच्चय (Infinite set) कहते हैं। जैसे— N = {1, 2, 3, 4… }

xEAका अर्थ हैं— x, समुच्चय A का सदस्य या अवयव (element) है एवं #A का अर्थ है—x, समुच्चय A का सदस्य या अवयव (element) नहीं है।

> समुच्चय को दर्शाने के लिए middle blacket { } का प्रयोग किया जाता है। यदि समुच्चय A एवं B इस प्रकार हो कि समुच्चय A के सभी अवयव समुच्चय B के भी अवयव हों, तो A को B का उपसमुच्चय (sub set) कहते हैं। इसे AC B द्वारा निरूपित करते हैं। उदाहरण → A = {1, 2, 3, 4} तथा

B = {1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8}, तो ACB

– ACB तथा BCAA = B
यदि A एवं B दो समुच्चय इस प्रकार हों कि A के सभी अवयव B के भी अवयव हों एवं B में कम-से-कम एक अवयव ऐसा हो जो Aका सदस्य न हो, तो A को B का वास्तविक उप-समुच्चय (proper sub set) कहते हैं। इसे ACB द्वारा निरूपित करते हैं।

* रिक्त समुच्चय प्रत्येक समुच्चय का उप समुच्चय होता है।
* किसी समुच्चय A के सभी उपसमुच्चयों की संख्या = 2 ” (A)

 

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